Holashtak में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था
जिस दिन भगवान शिव से कामदेव को भस्म किया उस दिन फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी
इसके बाद सभी देवताओं ने रति के साथ मिलकर भगवान शिव से क्षमा मांगी
भगवान शिव को मनाने में सभी देवताओं को आठ दिन का समय लग गया था
इसके बाद महादेव ने कामदेव को जीवित होने का आशीर्वाद दिया यही वजह है कि इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है
इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करते हैं
लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य इसमें किए जा सकते हैं
वैज्ञानिक कारण: होलाष्टक के दौरान मौसम के परिवर्तन के कारण मन अशांत, उदास और चंचल रहता है
इस दौरान मन से किए हुए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं
इसलिए जैसे ही होलाष्टक समाप्त होता है और रंग खेलकर हम आनंद में डूबने का प्रयास करते हैं