दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से लड़ने के लिए, सरकार ने मंगलवार को आर्टिफिशियल रेन करवाने की कोशिश की थी
हालांकि, मौसम विभाग ने दिल्ली में वर्षा के कोई संकेत दर्ज नहीं किए
आर्टिफिशियल बारिश 'क्लाउड सीडिंग' तकनीक का इस्तेमाल करके की जाती है
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है जिससे इंसान अपनी मर्ज़ी से बारिश करा सकते हैं या फिर बारिश की मात्रा बढ़ा सकते हैं
वैज्ञानिक सबसे पहले उन बादलों को चुनते हैं जिनमें नमी तो है, लेकिन वे खुद से बारिश नहीं करा पा रहे हैं
हवाई जहाज़, रॉकेट या ज़मीन पर लगी मशीनों का उपयोग करके बादलों में छोटे-छोटे कण (केमिकल) डाले जाते हैं
ये कण अक्सर सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) या सूखी बर्फ (Dry Ice) के होते हैं
ये कण बादलों के अंदर मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदों या नमी को अपने चारों ओर इकट्ठा करते हैं
जैसे-जैसे ये बूंदें इन कणों के चारों ओर जमा होती हैं, वे भारी होती जाती हैं
जब ये बूंदें इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा उन्हें संभाल नहीं पाती, तो वे बारिश के रूप में जमीन पर गिरने लगती हैं