RSS प्रमुख बोले - राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा दिवस पर भारत को सच्ची आजादी मिली

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि को "प्रतिष्ठा द्वादशी" के रूप में मनाया जाना चाहिए।

भागवत के मुताबिक, कई शताब्दियों तक "पराचक्र" (शत्रु आक्रमण) का सामना करने वाले भारत की "सच्ची आजादी" इसी दिन स्थापित हुई थी।

भागवत ने कहा कि अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के बाद उस विशिष्ट दृष्टि की दिखाई राह के मुताबिक लिखित संविधान बनाया गया जो देश के ‘स्व’ से निकलती है।

उन्होंने कहा कि भगवान राम और कृष्ण के आदर्श और जीवन मूल्य ‘भारत के स्व’ में शामिल हैं और ऐसी बात कतई नहीं है कि ये केवल उन्हीं लोगों के देवता हैं।

भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी व्यक्ति का विरोध करने या विवाद पैदा करने के लिए शुरू नहीं किया गया था।

संघ प्रमुख ने कहा कि यह आंदोलन भारत का ‘स्व’ जागृत करने के लिए शुरू किया गया था ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा होकर दुनिया को रास्ता दिखा सके।

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन इसलिए इतना लम्बा चला क्योंकि कुछ शक्तियां चाहती थीं कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर उनका मंदिर न बने।

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