रतन टाटा के कारण ही पहली बार ओलंपिक में जा पाया था भारत
भारतीय बिजनेसमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन पर ओलंपिक मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा से लेकर भारतीय क्रिकेट कप्तान रोहित शर्मा तक ने शोक जताया।
टाटा ग्रुप 100 सालों से भी ज्यादा समय से भारतीय खिलाड़ियों को सपोर्ट करता है। चाहे ओलंपिक हो या क्रिकेट, टाटा ग्रुप का रोल हमेशा रहा।
भारत ने पहली बार 1990 के एंटवर्प ओलंपिक में हिस्सा लिया। इसमें दोराबजी टाटा का अहम रोल था। 1991 में दोराबजी भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष थे।
उन्होंने मुंबई के गर्वनर को ओलंपिक में भारतीय टीम को भेजने के लिए तैयार किया। 1920 में भारत को ओलंपिक में जाने की अनुमति मिली।
इन खिलाड़ियों को भेजने के लिए सबसे ज्यादा पैसा दोराबजी ने ही दिया था। भारत ने पांच खिलाड़ियों को भेजा जिन्होंने रेसलिंग और एथलेटिक्स में हिस्सा लिया।
सिर्फ ओलंपिक ही नहीं टाटा ग्रुप ने क्रिकेट के उत्थान में भी अहम रोल निभाया। 1996 में रतन टाटा ने पहली बार क्रिकेट की दुनिया में रखा।
उन्होंने टाइटन कप के नाम से त्रिकोणीय सीरीज को स्पॉन्सर किया जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका ने हिस्सा लिया।
सचिन तेंदुलकर की कप्तानी वाली भारतीय टीम को जीत मिली थी। साल 2000 में फिक्सिंग विवाद के बाद रतन टाटा पीछे हट गए।