उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव टालने की अटकलों पर कहा कि सरकार को आतंकवादियों के दबाव में ना आकर चुनाव करवाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितनी 1996 में थी। हमारे सुरक्षा बल, पुलिस और अन्य एजेंसियां आतंकवादी हमलों से निपटने और जवाब देने में सक्षम हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि जैसा कि कठुआ में देखा गया। हालांकि स्थिति पूरी तरह से स्थिर नहीं है। यह इतना अस्थिर नहीं है कि हम विधानसभा चुनाव नहीं करा सकें।
उमर ने कहा, हमें अपने सुरक्षा बलों पर भरोसा रखना चाहिए और अगर हम आतंकवादियों को सर्वोच्चता देना चाहते हैं तो चुनाव न कराएं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर ने बदतर हालात का सामना किया है, लेकिन इससे जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर कभी असर नहीं पड़ा।
भारत-पाक संबंधों के बारे में उमर अब्दुल्ला ने टिप्पणी की, "मैंने लगातार कहा है कि इन दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की जिम्मेदारी केवल हम (भारत) पर नहीं है।"
उमर ने चल रहे एनईईटी परीक्षा मुद्दे को हल करने की तात्कालिकता पर भी जोर दिया और कहा कि यह हमारे छात्रों के भविष्य से संबंधित है।