क्या होता है यो-यो टेस्ट?

यो-यो टेस्ट खिलाड़ियों के फिटनेस और स्टेमिना को जांचने के लिए किया जाता है। 

फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट जेन्स बैंग्सबो ने यो-यो टेस्ट की शुरुआत डेनमार्क में की थी। 

क्रिकेट जगत में पहली बार ऑस्ट्रेलिाय क्रिकेट बोर्ड ने इस टेस्ट को अपनाया था। 

वहीं टीम इंडिया में विराट कोहली के कप्तान बनने के बाद यो-यो टेस्ट की शुरुआत हुई थी। 

सॉफ्टवेयर आधारित इस प्रक्रिया में सबी नतीजों को रिकॉर्ड किया जाता है। 

यो-यो टेस्ट में कुल 23 लेवल होते हैं, खिलाड़ी के लिए 5वें लेवल से इसकी शुरुआत होती है।

यो-यो टेस्ट को तीन कोन की मदद से लिया जाता है, जहां पर कोन बी से सी के बीच 20 मीटर की दूरी होती है। 

इस टेस्ट में खिलाड़ी को एक कोन से दूसरे कोन तक एक नियमित समय में जाके वापस आना होता है। बी से एक कोन की दूरी 5 मीटर की होती है जो खिलाड़ियों के रिकवरी के लिए होती है। 

जैसे-जैसे लेवल की संख्या बढ़ती है तो इस दूरी को पूरा करने के लिए समय भी कम होता रहता है। 


भारतीय क्रिकेट बोर्ड खिलाड़ियों के टीम में जगह सुनिश्चित करने और फिटनेस के लिए एक बार फिर यो-यो टेस्ट को लाने का सोच रही है। 

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